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Swami Vivekananda: The Monk Who Awakened India (स्वामी विवेकानंद की आत्मकथा – मानव से महात्मा तक )

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Swami Vivekananda: The Monk Who Awakened India (स्वामी विवेकानंद की आत्मकथा – मानव से महात्मा तक )

यह पुस्तक “विवेकानंद की आत्मकथा” स्वामी विवेकानंद के जीवन, विचारों और अनुभवों पर आधारित है। इसमें उनके बचपन, आध्यात्मिक अनुभवों और गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस से मुलाक़ात तक की बातें हैं। नीचे इस पुस्तक की 10 मुख्य बातें (मुख्य संदेश) दी गई हैं 👇

माँ का प्रभाव:
विवेकानंद जी अपनी आध्यात्मिकता और नैतिकता का पूरा श्रेय अपनी माता भुवनेश्वरी देवी को देते हैं। वे कहते हैं कि जो कुछ भी वे बने, वह अपनी माँ की ही देन है।

बचपन से संन्यास प्रवृत्ति:
बचपन से ही वे साधु-संन्यासियों के प्रति आकर्षित थे और दूसरों की सहायता करने की भावना उनमें गहराई से भरी थी।

ईश्वर-दर्शन की खोज:
युवा अवस्था में वे हर विद्वान और पंडित से पूछते थे — “क्या आपने ईश्वर को देखा है?”
केवल श्रीरामकृष्ण परमहंस ने कहा — “हाँ, मैंने देखा है,” और यही उत्तर उन्हें गुरु की ओर खींच लाया।

गुरु श्रीरामकृष्ण से भेंट:
श्रीरामकृष्ण परमहंस से मिलने के बाद विवेकानंद के जीवन का पूरा दृष्टिकोण बदल गया। उन्हें सच्चे गुरु का सान्निध्य मिला, जिसने उन्हें आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर किया।

त्याग और सेवा का जीवन:
विवेकानंद का संदेश था कि संन्यासी का जीवन “आत्मकल्याण और जगत के कल्याण” के लिए होता है — “आत्मनो मोक्षार्थं जगत हिताय च।”

विदेश यात्रा और भारतीय संस्कृति का प्रचार:
उन्होंने 1893 में शिकागो धर्म संसद में भारत की आध्यात्मिक महानता का परिचय पूरे विश्व को कराया। वहाँ का उनका भाषण आज भी ऐतिहासिक माना जाता है।

मानव सेवा ही ईश्वर सेवा:
वे कहते थे — “दरिद्र नारायण की सेवा ही सच्ची पूजा है।”
यानी भूखे, पीड़ित और गरीबों की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है।

युवाओं के लिए संदेश:
विवेकानंद का विश्वास था कि भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है। वे कहते थे — “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”

सच्चे धर्म का अर्थ:
विवेकानंद मानते थे कि सभी धर्म एक ही सत्य तक पहुँचने के अलग-अलग मार्ग हैं। किसी धर्म को नीचा या ऊँचा नहीं कहा जा सकता।

जीवन का अंतिम संदेश:
उन्होंने अपने जीवन से सिखाया कि ज्ञान, कर्म और भक्ति — तीनों का संतुलन ही मनुष्य को पूर्ण बनाता है। उनका जीवन यह सिखाता है कि सेवा, त्याग और आत्मज्ञान से ही मुक्ति संभव है।

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